Wednesday 21 May 2014

सह गए



गज़ल



गम जुदाई का तो हँसकर सह गए
सामने आये तो आँसू बह गए

राजेगम दिल में रखेंगे सोचा था
अश्क आँखों के मगर सब कह गए

देखकर पहचानने की कोशिशें
उनके दिल की बात हमसे कह गए

मुद्दतों से इंतजार उनका किया
क्यों किया अब सोचते ही रह गए

ख्वाब देखे थे बहुत तन्हाई में
मिट्टी के घर की तरह सब ढेह गए


                                                 - वीरेश अरोड़ा "वीर"

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