Thursday 22 May 2014

पछतावा


पछतावा





इन हसीनाओ से बचके तू निकल,
इनसे कुछ नहीं तू पाएगा,
कर रहा है तो प्यार तो फिर सोच ले,
कल तू मेरी ही तरह पछताएगा I

क्योकि

मैंने माँगी थी जो थोड़ी सी खुशी,
गम मेरे महबूब से इतना मिला,
मुद्दतों से सह रहा हूँ मैं जिसे,
दो घडी भी तू नहीं सह पायेगा I

- वीरेश अरोड़ा "वीर"


समय की मांग


समय की मांग



पहले की सोच

गर कुछ कहना होगा मुझको
मैं बस सच ही कह पाउँगा
गर मुझको कुछ सुनना होगा
मैं सच को ही सह पाउँगा
गर सच मैं ना कह पाया तो
मैं बस चुप ही रह जाऊंगा
झूठ समय की मांग अगर है
मांग ना पूरी कर पाउँगा


आज की सोच

गर सच कहना होगा मुझको
मैं सच सच ना कह पाउँगा
गर सच सुनना होगा मुझको
मैं सच को ना सह पाउँगा
जो चाहो मैं कुछ ना बोलूं
तो चुप भी ना रह पाउँगा
झूठ समय की मांग "वीर" है
झूठ दनादन कह जाऊंगा


- वीरेश अरोड़ा "वीर"



-:::: भारत माँ के बेटों ::::-









-:::: भारत माँ के बेटों ::::-


हे भारत माँ के बेटों भारत माँ की संतानों,
जो है देश की आन बचानी, तो दो तुम कुछ बलिदानी !

रिश्वत खोरी को छोडो, मत घूस से नाता जोड़ो 
और भ्रष्टाचार के पथ से, अपना नाता तुम तोड़ो,
अब जग में भारत माँ की, हमको है शान बढ़ानी
जो है देश की आन बचानी.........



जहाँ हरिश्चंद्र ने अपने सच का डंका था बजाया
उस देश में जानो कैसे फिर झूठ ने राज जमाया 
आओ मिलकर दफना दें, इस झूठ की दें कुर्बानी 
जो है देश की आन बचानी.........

कहीं जात-धरम के झगडे, कहीं ऊंच नीच की बातें 
कुछ ऐसा हम कर पाते, मिलकर के सभी रह पाते 
हर प्रान्त का रहने वाला, पहले है हिन्दुस्तानी 
जो है देश की आन बचानी....

हे भारत माँ के ......




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