समीक्षक
किसी एक ग्रुप में एक छोटी सी रचना पर बहुत सारी आलोचनात्मक टिप्पणीयों को पढने के बाद बैठे बैठे जो लिख गया प्रस्तुत है :
रचनाकार का अनुरोध
रचना पर टिप्पणी दो
चाहे नकारात्मक हो
रचनाकार का अनुरोध
हमको भा गया
हमारे भीतर छिपे
समीक्षक को जगा गाया
मेरे भीतर
कब से छिपा
समीक्षक जाग गया
और एक छोटी सी रचना पर
विराट समीक्षा दाग गया
रचना पर समीक्षा
विराट रुप पा गई
और समी़क्षा के भीतर
रचना समा गई
बिखर गई
टूट गई
कहीं खो गई
रचना से रोचक
समीक्षा हो गई
और मूल रचना
अपना अर्थ खो गई
अर्थहीन हो गई.......
- वीरेश अरोड़ा "वीर"
किसी एक ग्रुप में एक छोटी सी रचना पर बहुत सारी आलोचनात्मक टिप्पणीयों को पढने के बाद बैठे बैठे जो लिख गया प्रस्तुत है :
रचनाकार का अनुरोध
रचना पर टिप्पणी दो
चाहे नकारात्मक हो
रचनाकार का अनुरोध
हमको भा गया
हमारे भीतर छिपे
समीक्षक को जगा गाया
मेरे भीतर
कब से छिपा
समीक्षक जाग गया
और एक छोटी सी रचना पर
विराट समीक्षा दाग गया
रचना पर समीक्षा
विराट रुप पा गई
और समी़क्षा के भीतर
रचना समा गई
बिखर गई
टूट गई
कहीं खो गई
रचना से रोचक
समीक्षा हो गई
और मूल रचना
अपना अर्थ खो गई
अर्थहीन हो गई.......
- वीरेश अरोड़ा "वीर"
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