रिश्ता/सम्बंध
थे शर्तो पर
कब तक रहते
रिश्ते हमारे
कोमल धागे
संबंधों के उलझे
गांठ का डर
अहं की गर्मी
रिश्तो का वटवृक्ष
ठूंठ हो गया
बंधक रिश्ते
शर्तो की बेडियो में
चलते कैसे
रिश्तों का घर
अहम् की दीमक
रिसते रिश्ते
छिप ना पाई
संबंधों की खटास
जग हँसाई
-वीरेश कुमार अरोड़ा "वीर"
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