जान देकर देश को आज़ाद तो वो कर गए
पर लुटेरों के हवाले देश को फिर कर गए
दर्द ही हमको मिलें हैं हर घड़ी हर मोड़ पर
ढूँढने खुशियों को हम इस देश में जिधर गए
रह रहे थे हम सभी मिलकर के भारत देश में
युग कई इस बात को बीते हुए गुजर गए
घूमती है लाश लोगों की हमारे देश में
आत्मा रहती थी जिनमें वो थे इंशा मर गए
देख कर हालत हमारे देश की लगने लगा
जो थे गुनहगारो के दिल में अब वो सारे डर गए
- वीरेश अरोड़ा "वीर"
गहन संवेदनाओं की सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteआदरणीय कल्पना रामानी जी हौसला बढ़ाने के लिए हार्दिक आभार.
ReplyDeleteदिल की गहराईयों के भीतर से निकले भावों की गंभीरता को शब्दों की माला में बहुत ही सुंदर तरिके से पिरोने के लिए ओर हम तक पहुंचाने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया एवं सुंदर प्रस्तुति के लिए शुभकामनाएँ
ReplyDeleteThnx.
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