Saturday 31 May 2014

कर गए


कर गए






जान देकर देश को आज़ाद तो वो कर गए
पर  लुटेरों के हवाले देश को फिर कर गए 

दर्द ही हमको मिलें हैं हर घड़ी हर मोड़ पर
ढूँढने खुशियों को हम इस देश में जिधर गए

रह रहे थे हम सभी मिलकर के भारत देश में
युग कई इस बात को बीते हुए गुजर गए

घूमती है लाश लोगों की हमारे देश में
आत्मा रहती थी जिनमें वो थे इंशा मर गए

देख कर हालत हमारे देश की लगने लगा 
जो थे गुनहगारो के दिल में अब वो सारे डर गए



- वीरेश अरोड़ा "वीर"

4 comments:

  1. गहन संवेदनाओं की सुंदर प्रस्तुति

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  2. आदरणीय कल्पना रामानी जी हौसला बढ़ाने के लिए हार्दिक आभार.

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  3. दिल की गहराईयों के भीतर से निकले भावों की गंभीरता को शब्दों की माला में बहुत ही सुंदर तरिके से पिरोने के लिए ओर हम तक पहुंचाने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया एवं सुंदर प्रस्तुति के लिए शुभकामनाएँ

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