Monday 19 May 2014

गीतिका (1)




गीतिका



                  



सभी को दर्दे दिल अपना यूं बतलाया नहीं जाता.
मगर अब दर्द को दिल में छिपाया भी नहीं जाता.


सकूं मिलता मुझे इस दिल का थोडा बोझ कम होता.
मगर मैं सामने उसके कभी कुछ कह नहीं पाता.

किसी को भी बता के बोझ दिल का कम मैं  कर लेता.
भरोसा इस ज़माने में किसी पर कर नहीं पाता.

उसी को ढूंढने में जिन्दगी सारी गवां डाली .
रहकर निगाहों में भी जो नज़र नहीं आता..










मूल मंत्र


मूल मंत्र


सबसे प्यारे प्यार किये जा
प्यार बाँटकर यार जिए जा

हार मिली है तुझको जिनसे 
उनको कुछ उपहार दिए जा 

दुःख देते जो तुझको हर दिन 
सुख उनको हर बार दिए जा 

बीती बातें छोड़ के प्यारे 
कल पर कुछ विचार किये जा 

क्या होना है कल क्या जाने 
खुद को तू तैयार किये जा 

ना करना चाहे तू कुछ भी 
करने का इकरार किये जा 

करनी का फल पाना होगा 
लाख भले इनकार किये जा 







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