Monday 2 June 2014

सह गए

सह गए

गम जुदाई का तो हँसकर सह गए
सामने आये तो आंसू  गए

राजेगम दिल में रखेंगें सोचा था
अश्क आँखों के मगर सब कह गए

देखकर पहचानने की कोशिशें
उनके दिल की बात हमसे कह गए

मुद्द्तों मैंने किया था इन्तजार
क्यों किया अब सोचते ही रह गए

ख्वाब देखे थे बहुत तन्हाई में
मिट्टी के घर की तरह सब ढह गए


         -वीरेश अरोड़ा "वीर"


Sunday 1 June 2014

आज - कल




आज - कल




पहले की सोच :

गर कुछ कहना होगा मुझको
मैं बस सच ही कह पाऊंगा
गर मुझको कुछ सुनना होगा
मैं सच को ही सह पाऊंगा
गर मैं सच ना कह पाया तो
मैं बस चुप ही रह जाऊंगा
झूठ समय की माँग अगर है
माँग ना पूरी कर पाऊंगा

आज की सोच :

गर सच कहना होगा मुझको
मैं सच सच ना कह पाऊंगा
गर सच सुनना होगा मुझको
मैं सच को ना सह पाऊंगा
जो चाहो मैं कुछ ना बोलूं
तो चुप भी ना रह पाऊंगा
झूठ समय की 
माँग अगर है
झूठ दनादन कह जाऊंगा


-वीरेश अरोड़ा "वीर"


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