Sunday 1 June 2014

आज - कल




आज - कल




पहले की सोच :

गर कुछ कहना होगा मुझको
मैं बस सच ही कह पाऊंगा
गर मुझको कुछ सुनना होगा
मैं सच को ही सह पाऊंगा
गर मैं सच ना कह पाया तो
मैं बस चुप ही रह जाऊंगा
झूठ समय की माँग अगर है
माँग ना पूरी कर पाऊंगा

आज की सोच :

गर सच कहना होगा मुझको
मैं सच सच ना कह पाऊंगा
गर सच सुनना होगा मुझको
मैं सच को ना सह पाऊंगा
जो चाहो मैं कुछ ना बोलूं
तो चुप भी ना रह पाऊंगा
झूठ समय की 
माँग अगर है
झूठ दनादन कह जाऊंगा


-वीरेश अरोड़ा "वीर"


No comments:

Post a Comment

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

मेरी कुछ अन्य प्रिय रचनाएँ जिन्हे आप पढ़ना पसन्द करेंगें