Wednesday 21 May 2014

चाहता हूँ मैं


गज़ल


  





ना जाने क्या अब और, करना चाहता हूँ मैं,
जीना अब और नहीं, मरना चाहता हूँ  मैं .

मर मर कर जीने से, क्या हांसिल होना है,
जी जी कर रोज़ नहीं, मरना चाहता हूँ मैं.

जीते जी खौफ रहा, मर जाने का मुझको,
मरने से अब और नहीं, डरना चाहता हूँ मैं .

हर रोज़ खुदा से मैंने, माँगा है कुछ ना कुछ,
कर्जा अब और नहीं, करना चाहता हूँ मैं .




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