Tuesday 20 May 2014

सर्दी - बाल कविता




सर्दी - बाल कविता



सर्दी हमको खूब है भाती
जिसे दिवाली लेकर आती 
गरमा - गर्म खाने को हो मन 
रहें धूप में बैठे हरदम 
मच्छर हो जाते है गुम
सबसे प्यारा सर्दी का मौसम
सर्दी प्यारी कभी न जाए 
प्रकृति भी इसका खेद जताए 
पतझड़ लाकर खेद जताती 
होली इसको लेकर जाती 

              - वीरेश अरोड़ा "वीर"

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